श्लेष MEANING IN ENGLISH - EXACT MATCHES
श्लेष
श्लेष
= PUNउदाहरण : राजनीतिज्ञ का भाषण श्लेष से भरा था, जिससे हर कोई भ्रमित था।Usage : charles dicken has used several puns for ornado in his pickwick papers.
श्लेष
= AMBIGUITYUsage : He could never understand the ambiguity of his wifes behaviour.
श्लेष
= PUNNINGUsage : She couldn't resist punning on the word "bark" when talking about her dog.
श्लेष
= QUIBBLEUsage : he is doing this only to introduce a quibble.
श्लेष
= WORDPLAYUsage : The comedian's wordplay had everyone in stitches.
श्लेष
= DOUBLE ENTENDREUsage : The comedian's jokes always include a clever double entendre.
श्लेष
= EQUIVOKEUsage : The politician's speech was full of equivoke.
श्लेष
= PARONOMASIAUsage : His joke relied on paronomasia to get a laugh.
श्लेष
= EQUIVOQUEUsage : The politician's speech was full of equivoque, leaving everyone confused.
OTHER RELATED WORDS
श्लेषण = BONDINGउदाहरण : नाविक ने हवा के खिलाफ श्लेषण के लिए जहाज की तार को समायोजित किया।Usage : in the relative bonding of mahadevi varma sumitranadanpanth and nirala can be added, who used ti tie the holy thread rakhi which means brother
श्लेषक = SYNOVIALEउदाहरण : श्लेषक तरल जोड़ों को स्मूथ गति के लिए तरल बनाने में मदद करता है।Usage : The synoviale fluid helps lubricate the joints for smooth movement.
श्लेषण = STICKINGUsage : i saw a piece of gum sticking to the bottom of my shoe.
श्लेषण = TACKINGUsage : the sailor quickly adjusted the sails by tacking to catch the wind.
श्लेषक = SYNOVIAUsage : The synovia helps lubricate the joints for smooth movement.
Definition of श्लेष
पुं० [सं०√श्लिष्+घञ्] [वि० श्लेषक, श्लेषी, भू० कृ० श्लिष्ट] १. संयोग होना। जुड़ना। मिलना। २. आलिंगन। परिरंभण। ३. बोल-चाल लेख आदि में वह स्थिति जिसमें कोई शब्द इस प्रकार प्रयुक्त होता है कि उसके दो या अधिक अर्थ निकलें और फलतः वह लोगों के परिहास का विषय बनें। ४. साहित्य में एक प्रकार का अलंकार जो कुछ अवस्थाओं में अर्थालंकार और कुछ अवस्थाओं में शब्दालंकार होता है। इसमें किसी या कुछ शब्दों के दो या अधिक अर्थ निकलते हैं (पैरोनोमिशिया)। विशेष—इसमें ऐसे शब्दों का प्रयोग होता है जिनके कई कई अर्थ होते हैं और प्रसंगों के अनुसार उनके अलग अलग अर्थ होते हैं। यथा—नाहीं नाहीं करैं थोरे माँगें बहु देन कहैं, मंगन को देखि पट तेत बार बार हैं। इसमें कही हुई बातें अलग अलग प्रकार के कृपण पर भी घटती हैं और दाता पर भी। इसके दो भेद होते हैं—अभंग पद और भंग-पद
[Source: Pustak.org]
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